आज एक परिचय 'सत्यशोधक समाज' की संकल्पना करने वाले 'महात्मा' ज्योति राव फुले से। (प्रथम बार ज्योतिषीय गणना के साथ)

आज एक परिचय 'सत्यशोधक समाज' की संकल्पना करने वाले 'महात्मा' ज्योति राव फुले से। (प्रथम बार ज्योतिषीय पंचांग गणना के साथ)

ज्योति राव फुले (1827-1890) पर भारत सरकार
द्वारा सन 1977 में जारी डाक टिकट 

सनातन धरा भारत में एक से बढ़कर एक महात्मा जन्मे हैँ जिन्होंने सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक क्षेत्र में ऐसी क्रांति व बदलाव की बयार बहाई कि उसने समाज के देखने के दृष्टिकोण व स्वरूप को बदलकर रख दिया। इसी श्रेणी में बड़े सम्मान से एक नाम ज्योति बा फुले जी का भी लिया जाता है। आज के इस ब्लॉगपोस्ट में आपसे उन्ही के विषयगत यह संवाद रच रहा हूँ।

ज्योति बा फुले नाम से प्रसिद्धि पाने वाले इस महान समाज सुधारक का असली नाम 'ज्योति राव बा फुले था. उनका जन्म 11 अप्रैल 1827 को माता चिमनाबाई और पिता गोविंदराज के यहाँ हुआ था।

ज्योति बा फुले जी की पंचांग ज्योतिष गणना।

अंग्रेजी कैलेंडर 11 अप्रैल 1827 को जन्मे ज्योति बा फुले का जन्म अत्यंत शुभ ज्योतिष गणना में हुआ था। चैत्र पूर्णिमा शाक संवत 1749 एवं विक्रमी संवत 1884 को हस्ता नक्षत्र में हुआ था।

उनका विवाह अल्प आयु मात्र जब वह 12 बरस के थे तब सम्पन्न हो गया था। इनकी जीवन संगिनी का नाम सावित्री बाई था जो कि विवाह के समय मात्र 09 बरस की बालिका थी। आगे चलकर वह भी पति के समान समाज सेविका बनी और इस दम्पत्ति ने अपार कीर्ति प्राप्त की।

ज्योति बा फुले जी की जोवन संगिनी सावित्री बाई फुले की पंचांग ज्योतिष गणना:

ज्योति बा फुले की जीवन संगिनी सावित्री बाई का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के नावगांव में 03 जनवरी 1831 को हुआ था। शाक संवत 1752 एवं विक्रमी संवत 1887 को कृष्णपक्ष पंचमी को जन्मी यह बालिका भी अत्यंत सौभाग्यशाली पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में आयुष्मान एवं सौभाग्य योग में जन्मी थी।

शिक्षित जीवन का लक्ष्य पाला।

ज्योति बा फुले का सबसे सकारात्मक पक्ष यह रहा था कि उन्होंने शिक्षित जीवन जीने का लक्ष्य स्वयं हेतु निर्धारित किया। वह वैवाहिक रंग तरंग में उलझने के स्थान पर शिक्षा ग्रहण करने की ओर मुखर हुए थे। इतना ही नहीं अपितु स्वयं की शिक्षा ग्रहण करने की लगन के साथ उन्होंने अपनी जीवन संगिनी को भी शिक्षित होने हेतु प्रेरित किया। उनकी जीवन संगिनी ने भी उनका उन्मुक्त भाव से साथ दिया। और परिणाम यह हुआ कि इस दम्पत्ति ने मिलकर सन 1848 में विशुद्ध बालिकाओं की शिक्षा हेतु विद्यालय की स्थापना की थी। परन्तु यह तो शिक्षा क्षेत्र में उनके योगदान की परवान मात्र थी। देखते ही देखते इस दम्पत्ति ने शिक्षण कार्य को विस्तार देते हुए 18 विद्यालय निर्मित कर डालें थे।

समाज की उस काल की सोच रूढ़िवादी होने के कारण इस दम्पत्ति खासकर सावित्री बाई फुले को अनेकों बार सामाजिक तनाव के मध्य से भी गुजरना पड़ा था। उनके कार्य से ईर्ष्या रखने वाले उनपर कभी कभार कीचड, गोबर, पत्थर व विष्ठा तक फेंक देते थे। परन्तु दृढ निश्चिय के धनी ज्योति बा फुले अपनी जीवन संगिनी संग पग बढ़ाते रहे और परिणाम यह रहा कि उनका कीर्ति गान चहुँ ओर होने लगा।

ज्योति बा का लेखन : गुलामगिरी एवं शेतकार्यांचा असूड 

महात्मा ज्योतिराव फुले द्वारा रचित पुस्तक 'गुलामगिरी' जो कि मराठी भाषा में लिखी गईं थी ने खूब ख्याति बटोरी है। आज भी इस पुस्तक की मांग युवा शोधार्थियों एवं समाजिक क्षेत्र में सुधारात्मक आंदोलन चलाने वालों के मध्य बहुत अधिक है। ज्योति राव फुले द्वारा रचित गुलामगिरी अमेरिका में गुलामों के जीवन से संबद्ध है। उनके मृत्यु उपरांत उनके द्वारा एक और लिखित पुस्तक 'शेतकार्यांचा असूड' का भी प्रकाशन हुआ है। ज्योति राव द्वारा लिखित उनकी दोनों पुस्तकें मराठी भाषा में हैँ परन्तु आज इन दोनों ही पुस्तकों के अनुवाद संस्करण अंग्रेजी व हिंदी समेत अनेकों भाषाओं में amazon.in पर उपलब्ध हैँ।

ज्योति बा फुले और सावित्री बाई फुले - इस दम्पत्ति ने समाज की कुरीतियों जैसे कि बाल विवाह निरोध, विधवा विवाह को मान्यता देने हेतु, जातिगत विभक्त समाज में जात पात के भेद के उन्मूलन हेतु 'सत्य शोधक समाज' का गठन किया था। ज्योति बा फुले के कार्यों का आगे चलकर ऐसा परचम लहराया कि उन्हें 11 मई 1888 को एक विशाल जन समारोह में 'महात्मा' की उपाधि से अलंकृत किया गया। ज्योति बा फुले द्वारा जीवन संगिनी संग शिक्षा क्षेत्र में जो अभूतपूर्व योगदान प्रदत्त किया गया था उसको दृष्टिगत बरेली स्थित रुहेलखण्ड यूनिवर्सिटी जिसकी स्थापना सन 1975 में की गईं थी को ज्योतिर्बा फुले के नाम वर्ष 1997 में ज्योतिर्बा फुले रुहेलखण्ड विश्विधालय (Jyotirba Phule Rohelkhand University - JPRU) नामकरण कर दिया गया। बताते चलें कि ज्योति राव फुले के नाम पर स्थापित यह विश्विधालय उत्तर प्रदेश के बरेली, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बिजनौर, अमरोहा, बदायूं, फिलीभीत इत्यादि सुदूरवर्ती क्षेत्रों के युवक युवतियों हेतु उच्चतर शिक्षा की चाहत को पूर्ण करती है। यह विश्विधालय लगभग 206 एकड़ (80 हैक्टर) में फैला हुआ है एवं NAAC A++ : ISO 9001:2015 एवं 14001:2015 मानक प्रमाणित है।

नामी गिरामी हस्तियां ज्योति राव फुले रुहेलखण्ड विश्विधालय से शिक्षित व दीक्षित हुई हैँ।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मीकार श्री विनोद कापड़ी, भारतीय क्रिकेट टीम के चमकते सितारे गेंदबाज मोहम्मद शमी, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के प्रथम सीईओ श्री राहुल जोहरी, ख्याति प्राप्त हास्य कलाकार राजपाल यादव, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी क्षेत्र हेतु शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार विजेता प्रोफेसर यज्ञदत्त शर्मा, प्रख्यात समाजसेवी बाबा आमटे के सुपुत्र डॉ विकास आमटे, प्रख्यात शिक्षाविद डॉ राजन वेलुकर (पूर्व उप कुलपति यशवंत राव चौहान मुक्त विश्विधालय एवं मुंबई विश्विधालय, संयुक्त राष्ट्र द्वारा सम्मानित पर्यावरणविद डॉ राजेंद्र शेंदे, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित मराठी फिल्मीकार एवं दृश्य लेखक नागराज मंजुले, महाराष्ट्र मेडिकल कॉउन्सिल के अध्यक्ष पद पर विराजमान रहे डॉ अविनाश भोंडवे जैसी जानी मानी हस्तियां ज्योति राव फुले रुहेलखण्ड विश्विधालय से पढ़ाई कर अपने अपने क्षेत्रों में झंडे गाड़ रहे हैँ।

28 नवंबर 1890 को ज्योति राव फुले का देहावसान हुआ था। 10 मार्च 1897 को उनकी जीवन संगिनी सावित्री बाई फुले भी पति के पास परलोक सिधार गईं। आज ज्योति बा फुले जी की पुण्यतिथि पर उनके दृढता भरे सामाजिक कार्यों को याद करने का दिवस है ; एवं शिक्षा क्षेत्र में अपनी जीवन संगिनी सावित्री बाई फुले संग उनके द्वारा किये गए अनुठे योगदान का स्मरण करने व ऐसे हुतात्माओं के प्रति कृत्यज्ञता प्रकटन का दिन है। आइये उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करें। 🙏🏻

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बंधुओं एवं प्रिय पाठक जन : मेरी कोशिश रहेगी कि इस प्रकार के रोचक एवं ज्ञानवर्धक आलेख ब्लॉगपोस्ट 'वनहिमालय' (OneHimalaya) के माध्यम से आप तक निरंतर पहुंचाता रहूँ। आपसे बस इतनी विनती एवं अपेक्षा है कि ब्लॉगपोस्ट 'वनहिमालय' (OneHimalaya) के आलेखों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने हेतु शेयर करते रहें। अपके पास यदि कोई गंभीर विषय है जिसको समाज के समक्ष उठाना चाहिए तो बेहिचक मुझसे मेरे नीचे दिए गए दूरभाष नंबर अथवा ईमेल पर सम्पर्क करें। मैं सदैव आपकी सेवा में तत्पर हूँ 🙏🏻

भक्तानुरागी मुकुंद कृष्ण दास
("सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी)
सम्पर्क सूत्र :-
9756201936 अथवा 9412145589
ईमेल :-
UKRajyaNirmanSenaniSangh@gmail.com

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