तितलियों के नाम से प्रख्यात मिराबल बहिनों इतिहास की अमर कहानी।
क्या आप इस तथ्य से परिचित हैँ कि संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) ने मिराबल बहिनों की स्मृति में प्रत्येक 25 नवंबर को अंतराष्ट्रीय महिला हिंसा निरोधक दिवस घोषित किया हुआ है। प्रत्येक वर्ष 25 नवंबर को इसे "ऑरेंज डे" (Orange Day) के साथ वार्षिक थीम के साथ हैशटैग करके मनाया जाता है। इस दिवस पर संयुक्त राष्ट्र संघ महिला हिंसा के विरुद्ध प्रत्येक वर्ष भांति भांति प्रकार के सृजनात्मक अभियान रचता है जैसे कि महिला विरुद्ध हिंसा रोकने के लिए एक होने के लिए 'Orange Your Neighborhood' अभियान। इसे किसी एक विशेष थीम के साथ 16 दिन तक 'मानवाधिकार दिवस' जो कि 10 दिसम्बर को मनाया जाता है की तिथि तक चलाया जाता है। इस आलेख में हम आगे जानेंगे कि संयुक्त राष्ट्र के पिछले वर्षो में महिला हिंसा निरोधक अभियानों की क्या थीम रहीं थी एवं इस वर्ष की थीम क्या है, परन्तु उससे पूर्व उन तीन दृढ साहसी मिराबल बहिनों के इतिहास से परिचित हो जाएं जिनकी स्मृति में संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिला हिंसा को रोकने हेतु एक दृढ अभियान रच डाला है।
मिराबल बहिनों की ऐतिहासिक भूमिका।
मिराबल बहिनों का इतिहास डोमिनिकन गणराज्य से जुडा हुआ है। यह कुल चार बहिने थी। 04 बहिनों में से 03 बहिने अपने यहाँ तत्कालीन तानाशाह. राफेल ट्रजिल्लो के क्रूर शासन के विरुद्ध साहस जुटाकर लड़ी थी। क्रूर शासक ने उनको एक एक करके 25 नवंबर को मौत के घाट उतार दिया था। डोमिनिकन गणराज्य में 03 बहिनों ने मिलकर वह कारनामा कर दिखाया जो जोखिम व साहस से भरा था परन्तु था सर्व समाज हेतु हितकारी। डोमिनिकन गणराज्य की 03 बहिनों का नाम था पाट्रिया, मिनर्वा एवं मारिया टेरेसा। इन तीनों द्वारा सृजित अभियान का कोड नाम था तितलियां। इन तीनों बहिनों ने डोमिनिकन गणराज्य के तानाशाह शासक राफेल ट्रजिल्लो के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए गुप्त अभियान रचा था। तीनों बहिने कोड भाषा में संदेशों को निर्मित करके तानाशाही शासन के विरुद्ध मोर्चा बांधती थी।
तीनों बहिनों में मिनर्वा सर्वाधिक सक्रिय भूमिका में रहती थी। वह एवं उसके पति मनोलो तावरेज जुस्तो ने जून 14 को सम्पन्न क्रांति आंदोलन सम्पन्न किया था। मारिया टेरेसा एवं बहिन पाटरिया सहयोगी भूमिका में अपनी बहिन का साथ देती थी। पाटरिया ने तानाशाह शासक के विरुद्ध छेडे गए अभियान हेतु अपने घर पर हथियार व बारूद रखने दिया था।
25 नवंबर 1960 को तानाशाह राफेल ट्रजिल्लो ने इन तीनों बहिनों को मरवा दिया था। जिसकी पूरी दुनिया में जबरदस्त निंदा की गईं थी। परन्तु इनके अभियान एवं असीम बलिदान का परिणाम रहा था कि डोमिनिकन रिपब्लिक को अंतोतगत्वा ट्रजिल्लो के शासन से मुक्ति मिली थी। तीनों बहिनों को डोमिनिकन गणराज्य में महान क्रन्तिकारी व्यक्तित्व के रुप में पूजा जाता है। उनके आवास को राष्ट्रीय स्मारक एवं संग्रहालय बना दिया गया है जहाँ पर आज भी इनकी अस्थियां सुरक्षित रखी हुई हैं।
मिराबल बहिनों की स्मृति में प्रारम्भ हुआ संयुक्त राष्ट्र का महिला हिंसा को रोकने का वार्षिक अभियान
मिराबल बहिनों का आंदोलन और बलिदान व्यर्थ नहीं गया। जहाँ एक ओर डोमनिकन गणराज्य के भीतर राफेल ट्रजिल्लो की तानाशाही समाप्त हुई वहीं दूसरी ओर इन तीनों बहिनों की स्मृति में संयुक्त राष्ट्र संघ ने महिला हिंसा के विरुद्ध प्रत्येक वर्ष वार्षिक अभियान छेड़ने की घोषणा कर दी थी। संयुक्त राष्ट्र संघ का महिला हिंसा विरोधी अभियान मिराबल बहिनों की पुण्यतिथि से लेकर दिसंबर 10 तिथि अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस तक निरंतर संचालित किया जाता है। 25 नवंबर को मिराबल बहिनों की स्मृति में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 07 फरवरी 2000 को प्रस्ताव पारित करके इस दिवस को महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day for the Elimination of Violence against Women) मनाने का निर्णय किया गया था।
ऑरेंज दी वर्ल्ड (Orange the World) अभियान
विभिन्न देशों में ऑरेंज दी वर्ल्ड (Orange the World) स्लोगन के साथ वर्षवार विभिन्न हैशटैग अभियान मिराबल बहिनों की स्मृति में सृजित किये जाते हैँ। संयुक्त राष्ट्र संघ की 2018 की थीम थी 'Orange the World:#HearMeToo" ; वर्ष 2019 में इस थीम को नाम दिया गया "Orange the World: Generation Equality Stands Against Rape" ; वर्ष 2020 में "Orange the World: Fund, Respond, Prevent, Collect!" ; वर्ष 2021 में इसको नाम दिया गया "Orange the World: End Violence against Women Now!" वर्ष 2023 की थीम है UNiTE! Invest to Prevent Violence Against Women & Girls! #No Excuse; "Orange the World : #NoExcuse".
क्यों जरूरी है मिराबल बहिनों की स्मृति में "ऑरेंज दी वर्ल्ड (Orange the World)" अभियान
क्या आप जानते हैँ कि :-
- प्रत्येक एक घंटे में 05 से अधिक महिलाओँ अथवा लड़कियों की हत्या उनके अपने परिवार वालों के हाथों हो रही है।
- प्रत्येक 03 महिलाओँ में से कोई 01 महिला शारीरिक अथवा यौन शोषण का शिकार कम से कम 01 बार अवश्य अपने जिवनकाल में हुई है।
- 86% महिलाएं उन राष्ट्रो की नागरिक हैँ जहाँ महिलाओं अथवा लड़कियों को लैंगिक अपराध के प्रति कोई भी सुरक्षा उपलब्ध नहीं है।
स्त्रोत :- मोर डाटा फ्रॉम यूएन वीमेन (data from UN Women)
भारत में महिला हिंसा की स्थिति
महिलाओँ के विरुद्ध हिंसा (Violence Against Women) की यदि भारत की स्थिति की बात की जाए तो यह अत्यंत चिंताजनक है। 2022 में भारत की लिंग अंतर सूचकांक रेटिंग 0.629 थी, जो इसे 146 देशों में से 135वें स्थान पर रखती है।
भारत में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा रिपोर्ट किए गए अनुसार, वर्ष 2011 के दौरान भारत में महिलाओँ के विरुद्ध हिंसा (Violence Against Women) के व्यापकता के आंकड़े इस प्रकार रहे थे: पति और उनके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता - 43.4%; छेड़छाड़ - 18.8%; बलात्कार - 10.6%; अपहरण और अपहरण - 15.6%; यौन उत्पीड़न - 3.7%; दहेज हत्या - 3.8%; अनैतिक व्यापार अधिनियम - 1.1%; दहेज निषेध अधिनियम - 2.9%; और अन्य - 0.2%। तब 2011 में थॉमस रॉयटर्स फाउंडेशन के विशेषज्ञ सर्वेक्षण में बताया गया था कि अफगानिस्तान, कांगो और पाकिस्तान के बाद भारत दुनिया का चौथा सबसे खतरनाक देश है जहां पर "कन्या भ्रूण हत्या", बाल विवाह और उच्च स्तर की मानव तस्करी और घरेलू दासता, बलात्कार एवं यौन शोषण होता है। भारत जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी कहलाता है उसमें महिलाओं के लिए चौथा सबसे खतरनाक स्थान बनना एक ऐसा धब्बा है जिससे पिंड छुड़ाने हेतु गंभीर कारगर उपाय निर्मित किये जाने अत्यावश्यक जान पड़ते हैँ।

भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं में 15.3% की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2011 में 228,650 से अधिक घटनाएं दर्ज की गईं। महिलाओं के खिलाफ अपराध, जबकि 2021 में 4,28,278 घटनाएं दर्ज की गईं, 87% की वृद्धि।
यदि गंभीरता से आंकलन किया जाए तो भारत में महिलाओँ एवं लड़कियों के विरुद्ध हिंसा रोकने हेतु युद्धस्तर पर अभियान छेडे जाने चाहिए। इसके लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान, ठोस कानून एवं उसका कठोरता से अनुपालना, महिलाओँ को सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने के उपाय निर्मित किये जाने चाहिए। भारत की संसद एवं विधायिका में महिलाओँ हेतु 33 प्रतिशत आरक्षण का हाल ही में पारित विधेयक से उम्मीद की जानी चाहिए कि इस दिशा में मजबूत प्रगति देखने को मिलेगी परन्तु उससे भी आवश्यक है कि भारतीय समाज अपने आप में सोच में व्यापक परिवर्तन लाये और महिलाओँ एवं लड़कियों के विरुद्ध हिंसा का स्वयं ही परित्याग करे। हमारी सरकारें, हमारे न्यायलय एवं कानूनी तंत्र भी महिलाओँ व लड़कियों की स्थिति व परिस्थिति के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाएं एवं जहाँ भी महिला विरुद्ध हिंसा उपजती दिखे वहां त्वरित निष्पक्ष पूर्ण कार्रवाई सम्पादित करें। आज ऐसा कहना इसलिए भी आवश्यक हो चला है क्योंकि मणिपुर हिंसा के दौरान महिलाओँ को निर्वस्त्र घुमाना, महिला खिलाडियों की यौन उत्पीड़न की शिकायतों एवं राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन के बावजूद भी तत्कालिन भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष / मंत्री के पक्ष में व्यवस्था का दण्डवत खडे रहना व उचित कार्रवाई करने में ढुलमूल रास्ता अपनाना एवं अनेकों बलात्कार एवं महिला उत्पीड़न की घटनाओं का बारबार उभर आना है। मनन करें कि मिराबल बहिनों की स्मृति में महिलाओ एवं लड़कियों के विरुद्ध होने वाली हिंसा के लिए हमारे यहाँ "ऑरेंज दी वर्ल्ड (Orange the World)" अभियान की कितनी बडी आवश्यकता है।
💐🙏🏻💐🕉️ हरे कृष्ण!
मिराबल बहिनों को मेरी ओर से सादर श्रद्धांजलि एवं शत शत नमन! आइये मिलकर उनकी स्मृति में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित अंतराष्ट्रीय महिला हिंसा विमुक्ति दिवस के संकल्प बिंदुओं को पूर्ण करने हेतु सृजित अभियान का अंग बनकर कार्य करें।🙏🏻 भक्तानुरागी मुकुंद कृष्ण दास ("सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी)
भक्तानुरागी मुकुंद कृष्ण दास
("सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी)
सम्पर्क सूत्र:-
मोबाइल 👉🏻 9756201936 अथवा 9412145589
ईमेल 👉🏻 UKRajyaNirmanSenaniSangh@gmail.com
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