आखिर क्यों भुला बिसरा दिया जाता है श्रीयंत्र टापू का ऐतिहासिक आंदोलन?

आखिर क्यों भुला बिसरा दिया जाता है श्रीयंत्र टापू का ऐतिहासिक आंदोलन?

🕉️ हरे कृष्ण!

*10 नवंबर* की तिथि उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन मे ऐतिहासिक श्रीयंत्र टापू दिवस को याद करने का भी दिवस है।

श्रीनगर गढ़वाल मे माँ अल्कानंदा तट पर स्थित श्रीयंत्र टापू वाटिका पर "श्रीयंत्र टापू आंदोलन" के नेतृत्वकारी सिपाही "सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी।

श्रीयंत्र टापू के ऐतिहासिक बिन्दु :-

1) 02 दृढ एवं ऊर्जावान आंदोलनकारियों श्री विशम्भर सिँह परमार जी* एवं श्री दौलत राम पोखरियाल जी ने इस दिवस गढ़वाल श्रीनगर मे माँ अल्कानंदा नदी स्थित श्रीयंत्र टापू पर आमरण अनशन संकल्प प्रारम्भ कर यहां पर अनवरत 36 दिन आमरण अनशन किया था।;

2) उनके आमरण अनशन संकल्प को नष्ट-भ्रष्ट करने हेतु 10 नवंबर 1995 को पीएसी एवं सीजनल पुलिस के द्वारा षड्यंत्रकारी भरी तांडव व प्रताड़ना कार्रवाई की गईं थी।;

3) इस दिवस पर घटित हुई कार्रवाई मे 02 आंदोलनकारी शहीद यशोधर बेंजवाल एवं शहीद राजेश रावत लापता हो गए थे व उनके शव 07/08 दिन बाद आंदोलनकारी पूर्व सैनिकों (सैन्य व अर्धसैन्य) द्वारा अल्कनंदा तट से खोजे गए थे।;

04) इस दिवस हुई कार्रवाई मे निडर व साहसी 52 राज्य आंदोलनकारियों को भयावह प्रताड़ना देते हुए 13 दिन सहारनपुर जेल मे भेज दिया गया था। परन्तु उनके द्वारा भागीदारी किए गए पूर्णतः लोकतान्त्रिक आंदोलन  व संवैधानिक अधिकार के पक्ष को देख्ग्ते हुए पहली ही न्यायलय तारीख पर पौड़ी न्यायलय द्वारा सभी 52 आंदोलनकारियों को दोषमुक्त किया गया था।

5) 10 नवंबर 1995 को श्रीयंत्र टापू आंदोलन मे हुए मानव अधिकार हनन, 02 आंदोलनकारियांपन की रहस्यमयी गुमशुदगी व तत्पश्चात्  07/08 दिवस उपरांत बरामद शवों की जाँच हेतु तत्कालीन राज्यपाल, उत्तरप्रदेश शासन द्वारा गठित जस्टिस वी.पी. सिँह जाँच आयोग आज 28 बरस बीत जाने के बाद भी शून्य प्रगति कर पाया है। और ना ही उसके पूर्ण होने की रत्ती भर भी आस अब बची है कारण एक कि जस्टिस वी.पी. सिँह का देहावसान काफी अरसा पूर्व हो चुका हैं एवं दूसरा यह कि श्रीयंत्र टापू आंदोलन पर बिठाई गईं जाँच से संबंधी समस्त पत्रावलियां गायब कर दी गईं हैँ। अतः सच्चा व सही न्याय श्रीयंत्र टापू आंदोलनकारियों को कभी भी नहीं मिल पाया है।

श्रीयंत्र टापू कांड पर गठित जस्टिस वी.पी. सिँह जाँच आयोग द्वारा देहरादून मे अधिकृत प्राधिकारी जस्टिस राजेश चंद्रा को "सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी द्वारा सौपे गए अभिलेख मे जाँच हेतु सहारनपुर जेल भेजे गए 52 आंदोलनकारियों की नाम /पता सूची वाला वर्ष 1996 का पत्र पावति समेत।


"श्रीयंत्र टापू आंदोलन के एक नेतृत्वकारी सिपाही रुप मे श्रीयंत्र टापू आंदोलन से मैं स्वयं को गहराई से जुडा हुआ महसूस करता हूँ। मैं गर्व से कथन कर सकता हूँ कि श्रीयंत्र टापू आंदोलन मे भागीदारी मनीषी होने के साथ-साथ मैं उस काल का प्रत्यक्षदर्शी भी हूँ जब माँ अल्कानंदा तट गढ़वाल श्रीनगर पर ऐसा अद्भुत, ऐतिहासिक श्रीयंत्र टापू आंदोलन उत्तराखंड राज्य निर्माण की संकल्पना को लेकर रचा गया था। पूरी जिम्मेदारी से कथन कर रहा हूँ कि उत्तराखंड आंदोलन के फील्ड मार्शल श्री दिवाकर भट्ट गुट द्वारा गठित उत्तराखंड संघर्ष समिति के श्री पूरण सिंह डंगवाल जी (अब स्वर्गवासी) द्वारा उस दिन सूझबूझ भरा नेतृत्व किया गया था।"

"मैं उन सभी आंदोलनकारी जिन्होंने आदम्य साहस व निडरता के साथ श्रीयंत्र टापू आंदोलन मे भागीदारी प्रदान की थी सभी का स्मरण कर उनका वंदन अभिनंदन करता हूँ।

जय भारत! जय उत्तराखंड!

भक्तानुरागी *मुकुंद कृष्ण दास* ("सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी)_🙏🏻

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