ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा /ऑपरेशन हैप्पी कृष्णा की गाथा रचने वाली अद्भुत महिला नेत्री।
मैंने एक लंबा जीवन जीया है और मुझे गर्व है कि मैंने अपना पूरा जीवन अपने लोगों की सेवा में बिताया है। मुझे सिर्फ इसी बात पर गर्व है और कुछ नहीं. मैं अपनी आखिरी सांस तक सेवा करता रहूंगा और जब मैं मरूंगा, तो मैं कह सकता हूं कि मेरे खून की हर बूंद भारत को ऊर्जा देगी और इसे मजबूत करेगी। श्रीमती इंदिरा गाँधी
I have lived a long life, and I am proud that I spend the whole of my life in the service of my people. I am only proud of this and nothing else. I shall continue to serve until my last breath, and when I die, I can say, that every drop of my blood will invigorate India and strengthen it. - Smt. Indira Gandhi
भारत की लौह महिला श्रीमती इंदिरा गाँधी
श्रीमती इंदिरा गाँधी को यूँ ही नहीं 'भारत की लौह महिला' कहा गया है। उनकी साहसिक एवं अद्भुत जीवन यात्रा मे अनेकों ऐसी उपलब्धियां हैँ जिनको पार पाना शायद ही किसी अन्य नेतृत्व के लिए आज की तारीख मे संभव हो।
भारत-पाक विभाजन की कठोरता भरे निर्णय के साथ ब्रिटिश साम्राज्य से स्वतंत्रता प्राप्त उपरांत से ही भारत दो पड़ोसी देशों के खतरनाक मंसूबों से दो चार होता रहा है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के प्रधानमंत्रीत्व काल मे 1951 का पाकिस्तानी काबलियों द्वारा कश्मीर पर आक्रमण और फिर चीन द्वारा 1962 मे तिब्बती गुरु श्री दलाई लामा व शरणार्थियों को लेकर युद्ध एक नव गठित राष्ट्र के विकास की राह मे भारी रोड़ा बने थे। पंडित लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रधानमंत्रीत्व काल मे पुनः सन 1965 का भारत पाकिस्तान युद्ध इसी ओर ईशारा करती हैँ।
भारत की लौह महिला श्रीमती इंदिरा गाँधी
एक अनाथ अवस्था मे श्रीमती इंदिरा गाँधी ने संभाली थी देश की बागडोर
भारत की आजादी आंदोलन मे प्रखर भागीदारी निभाने वाले दूरदृष्टि परख नेताओं अथवा देश के संविधान की समझ वाले नेतृत्व जिनमें डॉ भीम राव अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, पंडित लाल बहादुर शास्त्री, डॉ राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, राम मनोहर लोहिया आदि अनेकों नाम सम्मिलित हैँ तब हमारे बीच मे नहीं रहे थे। ऐसे समय भारत की राजनीती की क्षितिज पर जो सितारा उठा वह कोई ओर नहीं श्रीमती इंदिरा गाँधी थी।
भारत की अवाम और राष्ट्र की सेहत सुधारने के प्रति प्रतिबद्धता मे श्रीमती इंदिरा गाँधी का कोई सानी नहीं
भारत की राजनीती मे शनै:-शनै: उन्होंने जो पकड़ वनाई और भारत की जनता का दिल जीता वह अद्भुत कहा जा सकता है। श्रीमती इंदिरा गाँधी की सबसे बडी खूबी यह थी कि उनके अधिकांश निर्णय आम भारतीय के पक्ष मे होते थे। भारत की क्या किसी भी आर्थिक इकाई की राजनीती की बात करें तो उसके पीछे धनबल का बहुत बड़ा हाथ होता है। और यही ताकतें नीतियों को सवसे अधिक प्रभावित करते हैँ परन्तु श्रीमती इंदिरा गाँधी ने 1969 मे 'निजीकरण' के स्थान पर 'राष्ट्रीयकरण' को अपनी आर्थिक दृष्टिकोण मे प्राथमिकता प्रदान की थी। उनकी दृढ निर्णय कारकता का परिणाम रहा था कि भारत ने 1971 मे पश्चमी पाकिस्तान मे सेना उतारने का निर्णय लिया था और दुनिया मे एक नव राष्ट्र बांग्लादेश का उदयिमान हुआ था। भारत की बढ़ती जनसंख्या के नियंत्रण के लिए यदि नसबन्दी जैसे कडक निर्णय लेने पड़े हों तो भी वह पीछे नहीं हटी थी। कल्पना कीजिए कि यह वही महिला थी जिसने कभी पारसी युवा से वह विवाह रचाया था जहाँ पर अग्नि हवन भी हुआ था व कलमा भी पढ़ा गया था।
भारत एवं भारत की जनता के प्रति उनकी असीम प्रीति सदैव ही उनकी प्राथमिकता रहीं थी। उनके प्रत्येक निर्णय का वास्तविक मूल्यांकन किया जाएं तो उसके पीछे देश की सुरक्षा व मजबूती की सोच ही प्रथम पायदान पर नजर आएगी। श्रीमती इंदिरा गाँधी के कार्यकाल मे भारत ने विदेश नीति मे ऐसे साहसिक झंडे गाड़े थे कि सन 1971 मे अमेरिका का सातवाँ बेडा मुहं ताकता रह गया था और अपने पिच्छलगु चहेते पाकिस्तान के दो टुकड़े होने से नहीं बचा पाया था। और तत्कालीन समय मे एक दूसरे से गलबाहियाँ करते पश्चमी देश खासकर अमेरिका और चीन तक भी खास साहस नहीं जुटा पाए थे।
आंतकवाद पर कठोर प्रहार से लेकर आधुनिकता की बयार लाई थी इंदिरा गाँधी
भारत के पंजाब राज्य मे खालिस्तान के नाम पर पाकिस्तान, कनाडा व अन्य कुछ पश्चमी देशों से बढ़ावा पा रहे आंतकवाद के खात्मे के लिये उन्होंने 'ब्लूस्टार ऑपरेशन' जैसे अत्यंत दुह्साहसी निर्णय लेने तक मे गुरेज नहीं किया था। हालांकि यही निर्णय उनके सेवाकाल के दौरान उनकी वीरगति की पटकथा लिखने वाला साबित हुआ। भारत की आधुनिकता क्षेत्र मे प्रगति की नींव के अंकुर देखा जाए तो श्रीमती इंदिरा गाँधी के ही कार्यकाल मे प्रस्फुटित हुए थे। देश की सुरक्षा के लिए आधुनिक मिसाइल प्रणाली विकसित करने के क्षेत्र मे बढ़ावा, स्पेस टेक्नोलॉजी मे प्रगति, अंतरिक्ष मे सोवियत यूनियन (अब रूस) के सहयोग से प्रथम भारतीय को भेजना, ब्लैक एंड वाइट टीवी से रंगीन टेलीविजन सेट, एशियाड खेलों के सफल आयोजन के साथ खेलों हेतु आधुनिक अवस्थापना विकास एवं सुविधा युक्त आउटडोर एवं इंडोर स्टेडियम निर्माण इत्यादि, दुग्ध क्षेत्र मे सवालम्बन प्राप्त करने हेतु ऑपरेशन वाइट फ्लड, एनर्जी सेक्टर मे परमाणु संयत्र, बांध निर्माण, कोल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट आखिर क्या नहीं साधा था इस महिला नेता ने!
उनके कार्यकाल का एक स्वर्णिम निर्णय 'ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा' भी था जबकि भारत ने पोखरण (राजस्थान) मे पहला परमाणु विस्फोट करके समूचे विश्व को अपनी शक्ति से परिचय कराया था। यही वह निर्णय रहा जिससे आज दिवस तक कोई भी विदेशी आक्रन्ता जो भारत की प्रगति, एकता व अखंडता से ईर्ष्या पालता है, सीधे भारत से भिड़ने मे भय खाता है। आइये अपने देश की सर्वशक्तिशाली नेत्री वीरांगना श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा 'ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा' पर एक सूक्ष्म नजर दौड़ाते हुए उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करें।
ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा / ऑपरेशन हैप्पी कृष्णा!
इस परमाणु परीक्षण को "शांतिपूर्ण परमाणु विस्फोटक" कथन किया गया था। इस परमाणु परीक्षण की गोपनीयता की बात की जाए तो इंदिरा गांधी ने स्माइलिंग बुद्धा परीक्षण की तैयारियों के सभी पहलुओं पर कड़ा नियंत्रण बनाए रखा था, व इसे अत्यधिक गोपनीयता में आयोजित किया गया था। ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा जिसे कई लोग ऑपरेशन हैप्पी कृष्णा भी पुकारते हैँ मे श्रीमती इंदिरा गांधी के अलावा, केवल उनके सलाहकार परमेश्वर हक्सर और दुर्गा धर को ही सूचित किया गया था। विद्वान राज चेंगप्पा तो यहाँ तक का दावा करते पाए गए थे कि तत्कालीन भारतीय रक्षा मंत्री श्री जगजीवन राम जी तक को इस परीक्षण के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी और उन्हें इसके आयोजित होने के बाद ही इसके बारे में पता चला। भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री श्री स्वर्ण सिंह जी तक को भी केवल 48 घंटे पहले ही नोटिस दिया गया था। बहरहाल हमें इस बात पर गर्व होना चाहिए कि वीरांगना नेत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी का यही वह निर्णय रहा जिससे आज दिवस तक कोई भी विदेशी आक्रन्ता जो भारत की प्रगति, एकता व अखंडता से ईर्ष्या पालता है, सीधे भारत से भिड़ने मे भय खाता है।
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