!!लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है!!
राज्य निर्माण आंदोलन का जनगीत
!!लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है!!
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उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में 02 अक्टूबर 1994 एक ऐतिहासिक पड़ाव है। रामपुर तिराहा की शहादत राज्य के निर्माण में मील का पत्थर सिद्ध हुई थी। रामपुर तिराहा में असीम बलिदान देने वालों में सर्व शहीद, लापता हुए चिन्हित - अचिन्हित आंदोलनकारी, अपनी आबरू तक को दांव पर लगा देने वाली वीरांगनाएं, गोलीकाण्ड में शरीर को छलनी करवाने वाले वीर सेनानी और असंख्य उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का संघर्ष उत्तराखंड राज्य की नींव में अहम योगदान है। उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष के प्रत्येक ईमानदार शक्ति को शत शत नमन एवं वंदन। *हम अपने शहीदों को आज अश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैँ !*
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आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी, देश के द्वितीय प्रधानमंत्री पं0 लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती भी है। इस अवसर पर भारतभूमि के महान सपूतों को कोटिश वंदन एवं प्रेम पुष्पांजलि!
- *"सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी (मुकुंद कृष्ण दास)*🙏🏻
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👉🏻 उत्तराखंड राज्य आंदोलन का प्रसिद्ध गीत "लड़ना है भाई यह लम्बी लडाई है"
जीतना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है
जुलम के अंधेरे लाख रोके रहें रास्ते
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
क्या हुआ जा कुर्सियाॅं बेजान, संसद मौन है,
वक्त ही बताएगा, इन्हें कि हम कौन हैं
गोली भी इन्हीं की है जो सीने पे खाई हैं
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
दुख तो अथाह हमने झेले हैं अनेक दिन
संघर्षों की राह चलकर आएगा वह ‘एक दिन’
जिसके लिए रक्त की ही लालिमा बिछायी है।
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
चोर आकर बेधड़क हिमालय लूटते रहे,
बूढ़े असहाय गाॅंव पीछे छूटते रहे
चोरों को ललकारने की हिम्मत तो जुटाई है।
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
रामपुर तिराहे का हिसाब अभी क्या दिया,
माॅं के अपमान का जवाब अभी क्या दिया
सीने में जोआग है कहाॅं बुझ पाई है।
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
लाशों को रौंदकर जो वोट हैं तलाशती,
उलटेंगी एक दिन नकाब वो सियासती
जनता ने उठाया है तो धूल भी चटाई है
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
किसकी, हिम्मत है, जो कुछले जनता के जुनून को
देश को भी सोचना पड़ेगा, इस कानून को,
बदलेगा सब, जो जो धारणा बनाई है,
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है
जीतने के वास्ते मशाल तो जलाई है।
अभी से क्या हो गए निराश जरा सोचना,
माफ, क्या करेगा इतिहास जरा सोचना
अभी इतिहास ने कलम ही तो उठाई है
जीतने के मशाल तो जलाई है।
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बंधुओं एवं प्रिय पाठक जन : मेरी कोशिश रहेगी कि इस प्रकार के रोचक एवं ज्ञानवर्धक आलेख ब्लॉगपोस्ट 'वनहिमालय' (OneHimalaya) के माध्यम से आप तक निरंतर पहुंचाता रहूँ। आपसे बस इतनी विनती एवं अपेक्षा है कि ब्लॉगपोस्ट 'वनहिमालय' (OneHimalaya) के आलेखों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने हेतु शेयर करते रहें। अपकेवपस यदि कोई गंभीर विषय है जिसको समाज के समक्ष उठाना चाहिए तो बेहिचक मुझसे मेरे नीचे दिए गए दूरभाष नंबर अथवा ईमेल पर सम्पर्क करें। मैं सदैव आपकी सेवा में तत्पर हूँ 🙏🏻
भक्तानुरागी मुकुंद कृष्ण दास
("सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी)
सम्पर्क सूत्र :-
👉🏻 मोबइल 9756201936, 9412145589
👉🏻 ईमेल :- UKRajyaNirmanSenaniSangh@gmail.com
(उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के इस प्रमुख जनगीत को गाते हुए आंदोलनकारी संगठनों के लोग।
इस आलेख के रचियता हैँ रामपुर तिराहा (सन 1994) मे उत्तराखंड राज्य प्राप्ति हेतु अपने शरीर पर गोलियाँ खाने वाले एवं श्रीयंत्र टापू आंदोलन (श्रीनगर, पौड़ी गढ़वाल सन 1995) मे 13 दिवस 52 आंदोलनकारियों संग जेल यात्रा कर चुके प्रथम पंक्ति के सेनानी जिन्हे प्रदेश मे प्रथम "सैनिक शिरोमणि" सम्मान से उत्तराखंड (तब उत्तराँचल) के प्रथम राज्यपाल सरदार सुरजीत सिंह बरनाला जी द्वारा अलंकृत किया गया।
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