अद्भुत महामानव माँ काली का अनन्य भक्त
वेदांत के ज्ञाता, माँ काली के अनन्य भक्त और सर्वधर्म सम्भाव के प्रेरणापुरुष स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी को शत शत नमन भावभीनी श्रद्धांजलि!
वेदांत के ज्ञाता और माँ काली से साक्षात संवाद करने वाले संत रामकृष्ण परमहँस जी का आज 16 अगस्त (1886) को तिरोभाव दिवस है। श्री श्रील रामकृष्ण परमहँस जी विलक्षण प्रतिभा के धनी एवं विश्व प्रख्यात स्वामी विवेकानंद (नरेंन्द्रनाथ) , जिन्होंने कि विश्व धर्म संसद मे सनातन का लोहा मनवाया था, उनके गुरु भी रहे थे। रामकृष्ण परमहँस जी का आविर्भाव 18 फरवरी 1836 को हुआ था। उनके पिताजी का नाम खुदीराम चट्टोंपाध्याय एवं माता जी का नाम चंद्रमणि देवी था। उनका विवाह 1859 मे शारदा देवी के साथ हुआ था।
सर्वधर्म सम्भाव के थे प्रेरणापुरुष।
स्वामी रामकृष्ण परमहँस विभिन्न धर्म, पंथ और मतावल्लम्बियों के मध्य सौहार्द के प्रेरणापुरुष थे। उनका यह उद्वरण इसे और अधिक स्पष्ट करता है -
मैंने सभी धर्मों का पालन किया है - हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म - और मैंने विभिन्न हिंदू संप्रदायों के मार्गों का भी पालन किया है। मैंने पाया है कि यह एक ही ईश्वर है जिसकी ओर सभी अपने कदम निर्देशित कर रहे हैं, हालांकि अलग-अलग रास्तों से। आपको अवश्य करना चाहिए सभी मान्यताओं को आज़माएँ और एक बार सभी अलग-अलग रास्तों पर जाएँ। मैं जहाँ भी देखता हूँ, मुझे धर्म के नाम पर लोग झगड़ते हुए दिखाई देते हैं - हिंदू, मुसलमान, ब्रह्मोस, वैष्णव और अन्य। लेकिन वे कभी यह प्रतिबिंबित नहीं करते कि जिसे कृष्ण कहा जाता है, उसे शिव भी कहा जाता है, और वह आदि ऊर्जा, जीसस और अल्लाह का भी नाम रखता है - वही राम जिसके हजारों नाम हैं। एक झील में कई घाट होते हैं। एक तो हिन्दू घड़े में पानी लेते हैं और उसे 'जल' कहते हैं; दूसरी ओर मुसलमान चमड़े की थैलियों में पानी लेते हैं और इसे 'पानी' कहते हैं। एक तिहाई ईसाई इसे 'जल' कहते हैं। क्या हम कल्पना कर सकते हैं कि यह 'जल' नहीं, बल्कि 'पानी' या 'पानी' ही है? बेहद बेहूदा! अलग-अलग नामों से पदार्थ एक ही है, और हर कोई एक ही पदार्थ की तलाश कर रहा है; केवल जलवायु, स्वभाव और नाम ही अंतर पैदा करते हैं। प्रत्येक मनुष्य को अपने मार्ग पर चलने दो। यदि वह ईमानदारी और उत्साह से ईश्वर को जानना चाहता है, तो उसे शांति मिले! वह निश्चित रूप से उसका एहसास करेगा।
I have practised all religions - Hinduism, Islam, Christianity - and I have also followed the paths of the different Hindu sects. I have found that it is the same God toward whom all are directing their steps, though along different paths. You must try all beliefs and traverse all the different ways once. Wherever I look, I see men quarrelling in the name of religion - Hindus, Mohammedans, Brahmos, Vaishnavas, and the rest. But they never reflect that He who is called Krishna is also called Siva, and bears the name of the Primal Energy, Jesus, and Allah as well - the same Rama with a thousand names. A lake has several Ghats. At one, the Hindus take water in pitchers and call it ' Jal ' ; at another the Mussalmans take water in leather bags and call it ' pani '. At a third the Christians call it ' water '. Can we imagine that it is not ' Jal ' , but only ' pani ' or ' water '? How ridiculous! The substance is One under different names, and everyone is seeking the same substance; only climate, temperament, and name create differences. Let each man follow his own path. If he sincerely and ardently wishes to know God, peace be unto him! He will surely realize Him.
उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजी0) श्री श्रील रामकृष्ण परमहँस जी के 'तिरोभाव दिवस 16 अगस्त (1886)' पर उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
शत शत नमन! कोटिश वंदन!
"सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी
(दीनबंधु भक्तवत्सल स्वामी मुकुंद कृष्ण दास)
9756201936, 9412145589, UKRajyaNirmanSenaniSangh@gmail.com
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