फौजी अफसर की नेताजी को श्रद्धांजलि देने का अनूठा अंदाज।
फौजी अफसर का नेताजी को श्रद्धांजलि देने का अनूठा अंदाज।
भारतीय सेना हो अथवा विश्व की अन्य कोई भी सेना, यदि उसके अफसर का चित्रण करने को आपको कहा जाए तो आप उसे कैसे बयान करेंगे? बहुत मुमकिन है कि बहुत कडक, अनुशासित, रौबदार, गंभीर इत्यादि ऐसे कुछ शब्द आप उनके लिए प्रयोग करें। परन्तु यदि यह कह दिया जाए कि फौजी अफसर बाल मन लिए कवि मन भी हो सकता है तो आप यकायक विश्वास नहीं करेंगे। आज हम आपका यही भ्रम तोड़ने जा रहें हैँ। हम आपको ऐसे अफसर से परिचय कराएंगे जो पूर्णतः बालमन लिए हुए है और अपनी बातों को कवि छंद रुप मे रखता है। इस फौजी अफसर से परिचय से पूर्व जरा इनकी अंग्रेजी भाषा मे कृत कुछ ऐसी रचना पर पहले दृष्टि डालें जहाँ यह अपने बालमन कवि मन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस' को श्रद्धांजलि अनुठे छंद अंदाज मे करते हैँ।
Netaji, as Subhash is for called, proved a true Neta (leader) on every callWhile leading students, Congress Party, INA, and in diplomacy he was equally tallHis vision of achieving independence by using force, was appreciated by one and allHe showed glimpses of Leadership and Nationalism, even when he was small
भावार्थ :- जैसा कि सुभाष को कहा जाता है, नेताजी छात्रों, कांग्रेस पार्टी, आईएनए और कूटनीति में नेतृत्व करते हुए हर आह्वान पर एक सच्चे नेता साबित हुए और बल का उपयोग करके स्वतंत्रता प्राप्त करने के उनके दृष्टिकोण की सभी ने सराहना की। जब वे छोटे थे तब भी उनमें नेतृत्व और राष्ट्रवाद की झलक दिखाई दी।
Even those who opposed his views, adopted his dynamism in their playing ballHe was dare-devil, and never looked back, once his goal he could instalBut never hesitated to change as in golf club or stroke, depending upon the haulHe was keen to achieve victory, and dreamt of independence, at every British fall
भावार्थ :- यहां तक कि जो लोग उनके विचारों का विरोध करते थे, उन्होंने भी अपनी गेंद खेलने में उनकी गतिशीलता को अपनाया। वह साहसी थे और कभी पीछे मुड़कर नहीं देखते थे, एक बार अपना लक्ष्य स्थापित कर लेते थे लेकिन गोल्फ क्लब या स्ट्रोक में, उछाल के आधार पर बदलाव करने में कभी संकोच नहीं करते थे। वह उत्सुक थे प्रत्येक ब्रिटिश पतन पर जीत हासिल करने और स्वतंत्रता का सपना देखा।
Subhash Chandra Bose - A Great Patriot
by
Brigadier K. G. Behl (Retd.)
Edited by
Dr. S. C. Gupta
Published by
Goyal Brothers Prakashan
Educational Publishers
Hardbound (in colour) price:- ₹500/= only
ब्रिगेडियर के. जी. बहल (से. नि.) द्वारा रचित कविता छंद पुस्तिका से उद्वित कुछ छंद जो आपको इसकी गहराई से अहसास कराएगी (A few excerpts from the book):-
Netaji flew for Bangkok from Andaman islands, to continue his further questTo tell his gallant men, how freedom has sprouted in small nestOn 6th July, 1944 he addressed, Gandhiji on 'Azad Hind Radio' with festTelling 'India's last war of Independence has begun, and we make another request
भावार्थ :- अपनी आगे की खोज को जारी रखने के लिए, नेताजी ने अंडमान द्वीप समूह से बैंकॉक के लिए उड़ान भरी, अपने वीर जवानों को यह बताने के लिए कि कैसे एक छोटे से घोंसले में आजादी का अंकुर फूटा, 6 जुलाई, 1944 को उन्होंने उत्सव के साथ 'आजाद हिंद रेडियो' पर गांधीजी को संबोधित किया, 'भारत की आजादी की आखिरी लड़ाई' बताई शुरू हो गया है, और हम एक और अनुरोध करते हैं।
Bless us 'O Father of our Nation' with your good wishes, to pass this last testRemembering Gandhiji inspite of different views, showed Subhash's real testHad he lived to see the day, he would have definitely reached the crestBeing a practical person, he wanted to do things, taking along the rest.
भावार्थ :- 'हे राष्ट्रपिता', अपनी शुभकामनाओं से हमें इस अंतिम परीक्षा में सफल होने का आशीर्वाद दें। अलग-अलग विचारों के बावजूद गांधीजी को याद करना, सुभाष की असली परीक्षा थी। अगर वह दिन देखने के लिए जीवित होते, तो वह निश्चित रूप से शिखर पर पहुंच गए होते। एक व्यावहारिक व्यक्ति होने के नाते, वह बाकियों को साथ लेकर काम करना चाहता था।
ब्रिगेडियर के.जी.बहल का कीर्तिमान
ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल (से.नि.)
ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल भारतीय सेना के कोर ऑफ़ इंजीनियर्स से सेवानिवृत हैँ। उन्होंने भारतीय सर्वेक्षण विभाग मे डिप्टी सर्वेयर जनरल ऑफ़ इंडिया पद पर रहकर अपनी उत्कृष्ट सेवाएं राष्ट्र को प्रदान की हैँ। बेहद ईमानदार, सरल स्वभाव, समाज के प्रति समर्पित ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल उत्कृष्ट श्रेणी के कवि भी हैँ। छंद रुप मे उनकी कृतियों का यदि व्यख्यान किया जाए तो निश्चित ही आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे। उसपर हम आने वाले दिनों पर विस्तृत मे बात करेंगे परन्तु आज बात नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर कृत उनकी पुस्तिका 'सुभाष चंद्र बोस - अ ग्रेट पैटरिओट 'की ।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर पर एक आध कविता नहीं बल्कि समूची पुस्तक कविता छंद मे ही है कृत।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जीवन पर शोध कर व उस सम्पूर्ण शोध को छंद रुप मे कृत करने का यह अद्भुत कारनामा करने वाले पूर्व सेना अधिकारी जिनका नाम है ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल है उनका कीर्तिमान विलक्षण है। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर एक आध कविता नहीं रची हैँ, बल्कि उनके द्वारा रचित पुस्तक सुभाष चंद्र बोस - अ ग्रेट पैटरिओट (Subhash Chandra Bose - A Great Patriot) पूरी पुस्तिका ही कविता छंद मे लिखी गईं है।
ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर 98 पृष्ठ की पुस्तिका रच डाली है। ए-4 साइज की इस पुस्तिका मे नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर शोधात्मक वर्णन को कविता रूप मे व्याख्यायित किया गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय वह भी कविता छंद रुप मे है, यह विस्मृत करने वाला व पठन कार्य को नई ऊर्जा देने वाला है।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल की मांग
नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज 18 अगस्त के ही दिवस पर विमान दुर्घटना का शिकार हो गए थे। बताते हैँ कि विमान दुर्घटना उपरांत नेताजी को अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली थी। उनकी अस्थियां आज भी जापान मे सुरक्षित रखी गईं हैँ। विमान दुर्घटना उपरांत नेताजी की मृत्यु पर अनेकों कहानियां भी उभरकर सामने आ गईं। नेताजी पर अनेकों कयास लगाए जाने लगे। ऐसी बातें सामने आई कि नेताजी बच निकले थे, वह साधु वेशधारी बनकर एकांतवास जीवन जीने लग गए थे इत्यादि इत्यादि। रह रहकर उनके देखे जाने व उभर आने के समाचार तैर जाया करते थे। ऐसा इसलिए था क्योंकि विराट व्यक्तित्व के धनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने बचपन से लेकर मृत्यु तक चमत्कारिक कार्य किये थे। नेताजी का कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर चयन, भारत की तत्कालीन राजधानी कोलकाता मे निर्विरोध मेयर बनना, अंग्रेजों द्वारा निर्वासन व नजर बंदी से भाग निकलना, अफगानिस्तान से होते हुए भारत से जर्मनी की यात्रा करना, जर्मनी से पण्डुब्बी मे बैठकर जापान पहुंचना, जापानी सरकार से वार्ता कर सभी कैद भारतीय सैनिकों को छुड़वाना व आजाद हिन्द फौज की स्थापना कर 'दिल्ली चलो' व 'जय हिन्द' नारे के साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ युद्ध छेड़ना आदि का कीर्तिमान रचने वाले महामानव का यकायक चले जाना दुनिया के गले आसानी से नहीं उतरा। ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल कहते हैँ कि हमें सत्य से आत्मसक्षात् कर लेना चाहिए भले ही वह कितना भी कड़वा क्यों ना हो। उनका कहना है कि जहाँ एक ओर जापानी सरकार उस विमान दुर्घटना मे मारे गए अपने नागरिक का अंतिम संस्कार पूर्ण कर चुकी है वहीं हमारे प्रिय नेताजी की अस्थियां जापान मे सुरक्षित रखी हुई हैँ। उनकी मांग है कि नेताजी की अस्थियां भारत मे लाकर वैदिक रीति रिवाज से विसर्जित कर दी जानी चाहिए।
ब्रिगेडियर कृष्ण गोपाल बहल की यह मांग कि नेताजी की अस्थियों को पूर्ण मान सम्मान से अब विसर्जित कर दी जानी चाहिए, को सरकार स्वीकारती है अथवा नहीं यह तो भविष्य के गर्भ मे छिपा हुआ है परन्तु आज हम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक व महामानव को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैँ।
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भक्तानुरागी मुकुंद कृष्ण दास
("सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी)
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