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उत्तराखंड के तीनों राज्य सभा सांसद करोड़पति। तीनों पर गंभीर अपराध श्रेणी का कोई भी मुकदमा नहीं।

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रेफॉर्म्स व नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा हाल ही में देश के सभी राज्यों से राज्य सभा हेतु निर्वाचित सदस्य अथवा राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्यों पर विस्तृत आंकड़ा जारी किया गया है। इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर उत्तराखंड के प्रतिष्ठित दैनिक समाचार प्रकाशन ' हिंदुस्तान ' ने उत्तराखंड के राज्य सभा सांसदों पर दिनांक 21 अगस्त 2023 को समाचार प्रकाशित किया है। प्रस्तुत है प्रकाशित समाचार पर आधारित यह रपट। "राज्यसभा सांसदों में सैनी सबसे अमीर" शीर्षक से प्रकाशित समाचार में कथन किया गया है कि उत्तराखंड के तीनों राज्यसभा सांसदों में कल्पना सैनी सबसे अमीर राज्य सभा सांसद हैं। दैनिक समाचार पत्र ' हिंदुस्तान ' द्वारा प्रकाशित समाचार में बताया गया है कि एडीआर ने हाल में राज्यसभा के 225 सांसदों की संपत्ति शिक्षा और आपराधिक मुकदमों को लेकर साल 2023 की रिपोर्ट जारी की है। समाचार में बताया गया है कि उत्तराखंड में यह रिपोर्ट एडीआर के प्रदेश समन्वयक मनोज ध्यानी द्वारा जारी की गई। उत्तराखंड के तीनों राज्य सभा सांसद करोड़पति। कल्पना सैनी उत्तराखंड की सबसे अमीर राज्...

राज्य सभा सांसदों की औसत आय ₹80.93 करोड़ और 33 प्रतिशत सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि के भी। : एडीआर रिपोर्ट.

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एसोसिएशन फाॅर डेमाेक्रेटिक रिफाॅम्र्स और नेशनल इलेक्शन वाॅच ने राज्यसभा के में से वर्तमान सांसदों के आपराधिक, वित्तीय और अन्य पृष्ठभूमि विवरणो का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट जारी की है। राज्यसभा के 233 सांसदों मे से 225 वर्तमान सांसदों के आपराधिक, वित्तीय और अन्य पृष्ठभूमि विवरणो का विश्लेषण करते हुए बीते शुक्रवार (18 अगस्त 23) को यह विस्तृत रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें कहा गया है कि राज्य सभा सांसदों की औसत आय ₹80.93 करोड़ है और 33 प्रतिशत सांसद आपराधिक पृष्ठभूमि के भी हैँ। आइये इस रिपोर्ट मे राज्य सभा सांसदों के आर्थिक पक्ष पर निगाह डालें। - मनोज ध्यानी, प्रदेश समन्वयक, एडीआर उत्तराखंड इलेक्शन वॉच। राजयसभा के 233 सांसदों मे से 225 सांसदों को लेकर यह विश्लेषण जारी हुआ है। राज्य सभा इसे Elders House भी कहा जाता है और माना जाता है कि यहाँ पर बहुतायत योग्य, कर्मनिष्ठ व विद्वानों की भरमार होती है। विद्वानों का मत है कि राजनीतिक दल जिन योग्य व्यक्तियों को किसी कारणवश लोकसभा मे नहीं भेज पाती हैँ, उनको वह राज्य सभा के माध्यम से प्रतिनिधित्व प्रदान करती हैँ ताकि उनकी सेवा का लाभ विषय विमर्श व विधि...

फौजी अफसर की नेताजी को श्रद्धांजलि देने का अनूठा अंदाज।

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फौजी अफसर का नेताजी को श्रद्धांजलि देने का अनूठा अंदाज। भारतीय सेना हो अथवा विश्व की अन्य कोई भी सेना, यदि उसके अफसर का चित्रण करने को आपको कहा जाए तो आप उसे कैसे बयान करेंगे? बहुत मुमकिन है कि बहुत कडक, अनुशासित, रौबदार, गंभीर इत्यादि ऐसे कुछ शब्द आप उनके लिए प्रयोग करें। परन्तु यदि यह कह दिया जाए कि फौजी अफसर बाल मन लिए कवि मन भी हो सकता है तो आप यकायक विश्वास नहीं करेंगे। आज हम आपका यही भ्रम तोड़ने जा रहें हैँ। हम आपको ऐसे अफसर से परिचय कराएंगे जो पूर्णतः बालमन लिए हुए है और अपनी बातों को कवि छंद रुप मे रखता है। इस फौजी अफसर से परिचय से पूर्व जरा इनकी अंग्रेजी भाषा मे कृत कुछ ऐसी रचना पर पहले दृष्टि डालें जहाँ यह अपने बालमन कवि मन से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नायक 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस' को श्रद्धांजलि अनुठे छंद अंदाज मे करते हैँ। Netaji, as Subhash is for called, proved a true Neta (leader) on every call While leading students, Congress Party, INA, and in diplomacy he was equally tall His vision of achieving independence by using force, was appreciated by one and al...

घ्यू सकरांत क चुपाड़ा हाथ ; बेदुआ रवाट् अर तिमालक पात।

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आप सभी को घी सक्रांति / सिँह सक्रांति की हार्दिक बधाई एवं असीम शुभकामनायें! घ्यू सकरांत क चुपाड़ा हाथ। बेदुआ रवाट् अर तिमालक पात।। घी सक्रांति /सिँह सक्रांति के महापुण्य काल का लाभ उठायें। घी सक्रांति / सिँह सक्रांति का महापुण्य काल प्रातः 11:31 बजे से दोपहर 01:44 तक तीर्थ स्नान आदि, श्री भगवान विष्णु जी, श्री नृसिंह भगवान की पूजा अर्चना, दान पुण्य व घी सेवन से पाएं लाभ। घी संक्रांति को क्षेत्रीय भाषा में घी त्यार, घ्यू त्यार, घु संक्रांति और ओल्गिया भी कहते हैँ। आज घी संक्रांति पर घी खाने का विशेष महत्व है, अतः घी पकवान का भोग लगाएं और प्रसाद सेवन करें। घी संक्रांति को सिँह सक्रांति भी कहा जाता है। इस दीन सूर्य देव कर्क राशी से सिँह राशी मे प्रवेश करते हैँ।  ◉ घी संक्रांति पर्व भादो मास की प्रथम तिथि शुक्ल प्रतिपदा को मनाई जाती है. ◉ घी का भोग लगाकर उससे विभिन्न प्रकार के ब्यंजन बनाकर भोग लगाकर पसाद ग्रहण किया जाता है। घी संक्रांति पर बेदू रोटी (उडद की दाल से भरी हुई रोटी) को घी के साथ छाव के साथ खाया जाता है। आज पहाड़ी समाज के लोग अपने देवी देवताओं को गेबे (अरबी पत्ते), मक्का, दही,...

जन्म दिवस पर हम इठलाते / क्यों न मरण-त्यौहार मनाते / अंतिम यात्रा के अवसर पर / आँसू का अशकुन होता है - अटल बिहारी वाजपेयी

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भारत के राजनीती मे लगभग अर्द्ध शताब्दी तक अपनी अमिट छाप छोड गए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी जी 10 बार लोक सभा व 02 बार राज्य सभा सांसद रहे। भारत रत्न और पद्म विभूषण से सम्मानित रहे अटल बिहारी वाजपेयी प्रखर वक्ता और ओजस भरे लेखन की प्रतिभा रखते थे। राष्ट्र के प्रति उनका योगदान अविस्मरणीय रहा है। विपक्ष मे रहते हुए भी जब आवश्यकता पड़ी तो वह राष्ट्र हित की सुरक्षा हेतु अग्रिम मोर्चे पर खडे मिले। इसका बेमिसाल उदाहरण है जब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ मे भारत का प्रतिनिधित्व श्रीमती इंदिरा गाँधी के अनुरोध पर सहर्ष स्वीकार किया था। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर मे हुआ था। उन्होंने 16 अगस्त 2018 को अंतिम सांस ली थी।  उनके पुण्य तिथि के मौके पर हम उनकी दो कविताओं का पाठ याद कर उनका स्मरण करना चाहते हैँ व उनको भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैँ। इन दो कविताओं का शीर्षक है "दूर कहीं कोई रोता है" एवं "मौत से ठन गईं"। दूर कहीं कोई रोता है। - अटल बिहारी वाजपेयी - तन पर पहरा, भटक रहा मन,  साथी है केवल सूनापन,  बिछुड़ गया क्या स्वजन किसी का,  क्रंदन...

अद्भुत महामानव माँ काली का अनन्य भक्त

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वेदांत के ज्ञाता, माँ काली के अनन्य भक्त और सर्वधर्म सम्भाव के प्रेरणापुरुष स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी को शत शत नमन भावभीनी श्रद्धांजलि! वेदांत के ज्ञाता और माँ काली से साक्षात संवाद करने वाले संत रामकृष्ण परमहँस जी का आज 16 अगस्त (1886) को तिरोभाव दिवस है। श्री श्रील रामकृष्ण परमहँस जी विलक्षण प्रतिभा के धनी एवं विश्व प्रख्यात स्वामी विवेकानंद (नरेंन्द्रनाथ) , जिन्होंने कि विश्व धर्म संसद मे सनातन का लोहा मनवाया था, उनके गुरु भी रहे थे। रामकृष्ण परमहँस जी का आविर्भाव 18 फरवरी 1836 को हुआ था। उनके पिताजी का नाम खुदीराम चट्टोंपाध्याय एवं माता जी का नाम चंद्रमणि देवी था। उनका विवाह 1859 मे शारदा देवी के साथ हुआ था। सर्वधर्म सम्भाव के थे प्रेरणापुरुष। स्वामी रामकृष्ण परमहँस विभिन्न धर्म, पंथ और मतावल्लम्बियों के मध्य सौहार्द के प्रेरणापुरुष थे। उनका यह उद्वरण इसे और अधिक स्पष्ट करता है - मैंने सभी धर्मों का पालन किया है - हिंदू धर्म, इस्लाम, ईसाई धर्म - और मैंने विभिन्न हिंदू संप्रदायों के मार्गों का भी पालन किया है। मैंने पाया है कि यह एक ही ईश्वर है जिसकी ओर सभी अपने कदम निर्देशित कर रहे...