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क्या आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण में फर्जीवाडा हुआ है? अगर सीबीआई जांच हो, तो जांच नतीजे बेहद विस्मयकारी होंगे!

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क्या आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण में फर्जीवाडा हुआ है? क्या आन्दोलनकारियों को दी गई नौकरियों में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इसकी पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करते हैं? क्या आन्दोलनकारियों को पेंशन दिए जाने वालों में ऐसे लोग भी हैं, जो वास्तव में आन्दोलन में, थे भी नहीं? अगर ऐसा हुआ है तो उत्तराखंड महिला मंच जिस आवाज़ को उठा रहा है, और पूरी प्रक्रिया की सी.बी.आई जाँच की मांग कर रहा है तो यह बेहद वाजिब है. सूत्र बताते हैं कि, 'उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानिं संघ (पंजीकृत) ने वर्ष 2011 में ही एक विशेल ब्लोअर पत्र के माध्यम से  सरकार को आगाह कर दिया था कि राज्य आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण और नौकरी अथवा पेंशन देयता में ऐसे लोग आवेदन कर लाभ ले रहे हैं, जिनका राज्य आन्दोलन से दूर दूर तक का कोई वास्ता था ही नहीं. तब उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजीकृत) ने बकायदा जिलाधिकारी देहरादून को एक गोपनीय पत्र के माध्यम से जानकारी प्रदान की थी, कि कैसे पूरा सिस्टम गलत लोगों को चिन्हित करने में लगा हुआ है. परन्तु क्या इसका दोषी शासन अथवा प्रशासन है? शायद हाँ; शायद नहीं? आन्दोलनकारियों के चि...

उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान गढ़वाल मण्डल में मृतक/लापता/घायल आन्दोलनकारियोें को मुआवजा भुगतान राशि की सूची

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उत्तराखण्ड आन्दोलन के दौरान गढ़वाल मण्डल में मृतक/लापता आन्दोलनकारियोें को मुआवजा भुगतान राशि की सूची क्रम संख्या          नाम /पता    भुगतान की गई धनराशि 1. श्रीमती यशोदा उर्फ ज्योति त्रिपाठी ₹ 10,00,000/- पत्नी स्व0 उमाकान्त त्रिपाठी 2. श्रीमती जमुना बंगारी पत्नी श्री रायसिहं बंगारी, मसूरी ₹ 10,00,000/- 3. श्रीमति शान्ति मंमगाई पत्नी स्व0 श्री मदनमोहन मंमगाई ₹ 10,00,000/- 4. श्री भगवान सिंह पुत्र श्री जवाहर सिंह मंसूरी ₹ 10,00,000/- 5. श्रीमति प्यारी देवी पत्नी स्व0 श्री धनपथ सिंह ₹ 10,00,000/- 6. श्री धर्म सिंह चैहान, मंसूरी ₹ 10,00,000/- 7. श्रीमति इन्दिरा वालिया पत्नी स्व0 श्री औम प्रकाष वालिया, देहरादून ₹ 10,00,000/- 8. श्रीमति आनन्दी देवी पत्नी स्व0 श्री महेन्द्र सिंह, देहरादून ₹ 10,00,000/- 9. श्रीमति धनकुमारी पत्नी स्व0 श्री जोतबहादूर गुंरग, देहरादून ₹ 10,00,000/- 10. श्रीमति कमरा देवी पत्नी स्व0 श्री जोत सिंह चैहान, देहरादून ₹ 10,00,000/- 11. श्री वाचस्पति बद्री, निवासी अजबसिंह देहरादून  ₹ 10,00,000...

!!लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है!!

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राज्य निर्माण आंदोलन का जनगीत !!लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है!! !!लड़ना है भाई, यह तो लम्बी लड़ाई है!! 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में 02 अक्टूबर 1994 एक ऐतिहासिक पड़ाव है। रामपुर तिराहा की शहादत राज्य के निर्माण में मील का पत्थर सिद्ध हुई थी। रामपुर तिराहा में असीम बलिदान देने वालों में सर्व शहीद, लापता हुए चिन्हित - अचिन्हित आंदोलनकारी, अपनी आबरू तक को दांव पर लगा देने वाली वीरांगनाएं, गोलीकाण्ड में शरीर को छलनी करवाने वाले वीर सेनानी और असंख्य उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों का संघर्ष उत्तराखंड राज्य की नींव में अहम योगदान है। उत्तराखंड राज्य के लिए संघर्ष के प्रत्येक ईमानदार शक्ति को शत शत नमन एवं वंदन। *हम अपने शहीदों को आज अश्रुपूरित भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैँ !* 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी, देश के द्वितीय प्रधानमंत्री पं0 लालबहादुर शास्त्री जी की जयंती भी है। इस अवसर पर भारतभूमि के महान सपूतों को कोटिश वंदन एवं प्रेम पुष्पांजलि! - *"सैनिक शिरोमणि" मनोज ध्यानी (मुकुंद कृष्ण दास)*🙏🏻 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐...

हिमालयी समाज उत्तराखंड की चिंतायें।

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हिमालयी समाज (उत्तराखंड) की चिन्ताओं को मौलिक तौर पर राजनीतिक विश्लेष्कों ने 06 खंडों में परिभाषित किया जा सकता है। सन 1994 में उत्तराखंड में व्यापक जनांदोलन उपजने के जिन प्रमुख कारणों की ओर विशेषज्ञ इंगित करते रहे हैं , वह हैं:- 1. उत्तराखंडी अवाम की आर्थिक चिंता का सवाल। 2. उत्तराखंडी अवाम की भौगोलिक चिंता का सवाल। 3. उत्तराखंडी अवाम की समाजिक चिंता का सवाल। 4. उत्तराखंडी अवाम की राष्ट्रीय चिंता का सवाल। 5. उत्तराखंडी अवाम की भविष्य की चिंता का सवाल। 6. उत्तराखंडी अवाम की राजनीतिक चिंता का सवाल।

उत्तराखंड आंदोलन के ऐतिहासिक पल व अभिभाषण!

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!! इतिहास के पन्नों से !! संघर्ष और संभावनाओं से ओत-प्रोत 1995, स्वागत! तुम्हारा अभिनंदन! हम जानते हैं नववर्ष कि अब हमें नयी चुनौतियाॅं मिलेंगी। पर हमें कहाॅं रोक पाएंगी। हिमालय की नदियाॅं वापस नहीं लौटती। हिमालय के पुत्रोंका यह कारवाॅं भी मंजिल तक पहुॅंच कर ही दम लेगा, और हमारी मंजिल उत्तराखंड राज्य ही नहीं बल्कि जनता का उत्तराखंड राज्य है। वहाॅं तक पहुॅंचने के बाद भी हमें सदैव सजग रहना होगा। हम आने वाली नयी सुबह के पेट पर खरपतवार उगने नहीं देंगे। आओ, नववर्ष! आओ। समय के अनन्त प्रवाह के एक सूक्ष्म कालखण्ड, तुम्हारे साथ ही आ रही नवीन चुनौतियों से निपटने को हम आतुर हैं। हाॅं, इन्हीं चुनौतियों को ध्वस्त करतेहुए हम भविष्य के गर्भ में पल रहे उत्तराखंड को वर्तमान बनायेंगे। लड़ रहे हैं, इसलिए कि प्यार जग में जी सके। आदमी का खून, कोई आदमी न पी सके।। जय भारत! जय उत्तराखंड! (उपरोक्त शपथ/संकल्प एवम् वचन, उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में रामपुर तिराहा (अब चैराहा), मुजफ्फरनगर में घटित 02 अक्टूबर 1994 के गोलीकाॅंड में गोली लगने से घायल सेनानी मनोज ध्यानी द्वारा 01 जनवरी 1995 की अर्द्ध-र...

इतिहास के पन्नों से "विदा - 1994 विदा!"

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इतिहास के पन्नों से विदा - 1994 विदा! बस कुछ ही क्षणों में तुम हमारा अतीत बन जाओगे। उत्तराखंड का संघर्षमयी अतीत, जिसे उत्तराखंड के महान सपूतों ने अपने खून लिखा है। अपने साथ, तुम बहुत कुछ लिए जा रहे हो 1994, झूठे आश्वासनों का मायाजाल, कि जिसे हम, पिछले 47 सालों से ओढ़ते, बिछाते, पहनते आ रहे थे। तुम्हारे ही काल में हम अन्ततः पूरी तरह जागे और उत्तराखंड, हम शान्तिप्रिय लोग क्रान्तिकारी बन गये। वक्त की इन्हीं लहरों में हमने सामुहिक संघर्ष के अनेक इम्तहान पास किए। तुम्हारे साथ, हमारे कुछ साथी भी तो छूट रहे हैं, 1994. खटीमा में! मसूरी में! मुजफ्फरनगर में! देहरादून मे! और 1994, तुम उनकी इन्सानियत के, उनकी बहादुरी के सबसे बड़े गवाह हो। वे अमर हैं, अब हमारे पूज्य पितृ हैं। वक्त के किसी दौर में हम तफम्हें निहारेंगे 1994, तो हमेशा अपने इन्हीं साथियों को पाएंगे, जिन्दा, आगे बढ़ते हुए। उत्तराखंड की बुनियाद अपने खून से रखते हुए। 1994, तुम उत्तराखंड के दुखों के अन्त की शुरुआत हो। पहले, बहुत पहले, भक्त प्रह्लाद के अत्याचरी पिता हिरण्यकश्यप ने भी प्रयत्न किया था, अपने अंत से बचने का। अपनी प्रज...

माँ तुम सदैव मेरी मनः स्मृति में बनी रहो, यही प्रार्थना करूंगा!

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माँ तुम सदैव मेरी मनः स्मृति में बनी रहो, यही प्रार्थना करूंगा! माँ ! ब्रह्माण्ड का सर्वाधिक खूबसूरत शब्द है. माँ, के उद्बोधन में वह मूर्ति मानसपटल पर उभरती है, जिसने हमें अपने गर्भ में महीनों तक प्रश्रय प्रदान किया. हम धरती पर उसकी ही बदौलत आये. उस महा देवी ने हमारी लालना पालना करी; तब तक, जब तक कि हम अपने पांवों में खड़े हो, चलना न सीख पाए. माँ, के देयता (सर्वस्व प्रदत्त करने वाला) भाव से ही, हमें माँ रुपी 'गऊ' महिमा का बोध विचारित हो आता है. अपनी संतान को दुग्ध स्तनपान कराना, तो सिर्फ माँ का ही चरित्र मात्र है. इसी देयता के भाव में हमे अपनी धरती माँ की पूजयता का भान होता है; जो हमें अन्न, वस्त्र, जल, प्राण वायु और सम्पूर्ण जीवन प्रदान करती है. और माँ उद्बोधन की महिमा ब्रह्म रूप धारित कर, हमें जागृत करती है कि सम्पूर्ण देयता "माँ" ही तो है..और हम पूजने और उद्बोधित करते हैं प्रत्येक देयता शक्ति रूप को..माँ सरस्वती- विद्या देवी, माँ लक्ष्मी-धन देवी, माँ गंगा- जल देवी..और यह अनन्त सागर रूपित हो जाता है. देश, भाषा, आदि सर्व "माँ" रूप में वंदनीय हो उठते हैं....