क्या आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण में फर्जीवाडा हुआ है? अगर सीबीआई जांच हो, तो जांच नतीजे बेहद विस्मयकारी होंगे!
क्या आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण में फर्जीवाडा हुआ है? क्या आन्दोलनकारियों को दी गई नौकरियों में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इसकी पात्रता शर्तों को पूरा नहीं करते हैं? क्या आन्दोलनकारियों को पेंशन दिए जाने वालों में ऐसे लोग भी हैं, जो वास्तव में आन्दोलन में, थे भी नहीं? अगर ऐसा हुआ है तो उत्तराखंड महिला मंच जिस आवाज़ को उठा रहा है, और पूरी प्रक्रिया की सी.बी.आई जाँच की मांग कर रहा है तो यह बेहद वाजिब है. सूत्र बताते हैं कि, 'उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानिं संघ (पंजीकृत) ने वर्ष 2011 में ही एक विशेल ब्लोअर पत्र के माध्यम से सरकार को आगाह कर दिया था कि राज्य आन्दोलनकारियों के चिन्हीकरण और नौकरी अथवा पेंशन देयता में ऐसे लोग आवेदन कर लाभ ले रहे हैं, जिनका राज्य आन्दोलन से दूर दूर तक का कोई वास्ता था ही नहीं. तब उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी संघ (पंजीकृत) ने बकायदा जिलाधिकारी देहरादून को एक गोपनीय पत्र के माध्यम से जानकारी प्रदान की थी, कि कैसे पूरा सिस्टम गलत लोगों को चिन्हित करने में लगा हुआ है. परन्तु क्या इसका दोषी शासन अथवा प्रशासन है? शायद हाँ; शायद नहीं? आन्दोलनकारियों के चि...